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Tripura Sundari's kind is not only a visual illustration but a map to spiritual enlightenment, guiding devotees by way of symbols to comprehend deeper cosmic truths.
It was in this article as well, that The good Shankaracharya himself mounted the picture of a stone Sri Yantra, Probably the most sacred geometrical symbols of Shakti. It might nevertheless be considered today while in the internal chamber on the temple.
हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता
साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥
Shiva after the Loss of life of Sati had entered right into a deep meditation. Devoid of his energy no generation was possible which triggered an imbalance in the universe. To convey him outside of his deep meditation, Sati took beginning as Parvati.
लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं
ह्रीङ्काराम्भोजभृङ्गी हयमुखविनुता हानिवृद्ध्यादिहीना
She is depicted with a golden hue, embodying the radiance in the climbing Sunshine, and is frequently portrayed with a third eye, indicating her wisdom and insight.
भगवान् शिव ने कहा — read more ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
यस्याः शक्तिप्ररोहादविरलममृतं विन्दते योगिवृन्दं
भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥